इस्लाम की बुनियादी शिक्षाऐं और मान्यताऐं || Latest Article 2018 ||

इस्लाम की बुनियादी शिक्षाऐं और मान्यताऐं


इस्लाम धर्म बुनियादी तौर पर 5 सिद्धांतों पर आधारित है। किसी भी व्यक्ति को इस्लाम का अनुयायी बनने के लिए इन पांचों सिद्धांतों का पालन करना ज़रूरी है।


मुस्लिम विद्वानों ने इन सिद्धांतों को इस्लाम के सुतून (स्तम्भ) के रूप में माना है, जिस तरह एक इमारत कुछ स्तम्भों (pillar) के सहारे खड़ी रहती है उसी तरह एक मुस्लिम की आस्था (ईमान) इन पांच सिद्धांतों पर खड़ा रहता है।
(सहीह अल बुखारी, हदीस-8)





इस्लाम के पाँच सिद्धांत


  1. इस्लाम का अनुयायी बनने की गवाही (शहादत)
  2. दिन में 5 बार सलाह
  3. साल में एक महीने रोज़े
  4. सालाना बचत में से दान
  5. जीवन मे एक बार मक्का की यात्रा, अर्थात हज


शहादत

शहादत को हिंदी में गवाही कहा जाता है ,यह सबसे पहला कदम है जो एक व्यक्ति को मुसलमान बनाता है। व्यक्ति अपने दिल और ज़ुबान से इस बात का ऐलान करता है कि ईश्वर एक है उसका कोई रूप नही है और ईश्वर ने इंसानो को रास्ता दिखाने के लिये पैगम्बर मुहम्मद सल्ल. को भेजा है। अगर किसी तरह का खतरा हो तो ज़ुबान से कहना ज़रूरी नही रहता।



सलाह

आमतौर पर भारत, पाकिस्तान और आसपास के इलाके में सलाह को नमाज़ कहा जाता है, हर मुसलमान जो वयस्क है उसे दिन में पाँच बार नमाज़ पढ़ना ज़रुरी है।


 इन पाँच नमाज़ों को सही ढंग से पूरा करने के लिए मस्जिदों की व्यवस्था की जाती है।



रोज़े

इस्लामी कैलेंडर में 12 महीने होते हैं जिसमे नौंवा महीना है रमज़ान, मुस्लिम समुदाय में इस महीने को बहुत पवित्र माना जाता है। इसी महीने में अल्लाह ने पैग़म्बर मुहम्मद सल्ल. को अपनी किताब दी जिसमे इंसानो के लिये अल्लाह का सन्देश है। इस महीने में रोज़ा (व्रत) रखा जाता है,


 सूरज के निकलने से ढलने तक भूखा प्यासा रहकर खुद को विन्रम बनाया जाता है।


सालाना बचत में से दान (ज़कात)

ज़कात का अर्थ है पवित्र करना, दान के संदर्भ में ज़कात का अर्थ हुआ ऐसा दान जो दौलत को पवित्र बनाता है। दरअसल ज़कात हमारी दौलत का वह हिस्सा है जो गरीबों और ज़रूरतमंदों का है।


हर इंसान जो एक साल में 85 ग्राम सोना या इससे ज़्यादा की बचत करता है तो उसे उस बचत का 2.5%  ज़कात के रूप में गरीबो को देना होता है।


हज

हर मुस्लिम व्यक्ति जो मक्का जाने की हैसियत रखता हो और सेहतमंद हो उसपर हज करना अनिवार्य है, हज का इस्लाम मे बहुत महत्व है, मक्का में स्थित काबा इस्लाम का सबसे पवित्र स्थान है जो दुनिया की शुरुआत से लेकर अबतक इबादत का केंद्र रहा है।



इस काबा की यात्रा करना ही हज कहलाता है, इसके अलावा कुछ परम्पराओं को पूरा करना जैसे अराफ़ात की पहाड़ी की यात्रा, सफेद कपड़े पहनना, सर मुंडाना, कुर्बानी करना आदि हज को पूरा करते हैं।





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