...मुहम्मद (स) ने वो किया जो किसी ने नहीं किया था! Prophet Muhammad Birthday

मुहम्मद (स) इस दुनिया के वो शख्श हैं जिन्होंने हर काम को बड़े ही अच्छे ढंग से पूरा किया। मुहम्मद (स) धार्मिक नेता के रुप मे भी कामयाब रहे और एक राजनीतिक नेता के रुप मे भी कामयाब रहे।

आज prophet Muhammad के Birthday पर हम उनकी रौशन ज़िन्दगी से वो हिस्सा पेश करने जा रहे हैं जो दुनिया के किसी बादशाह और शासक ने नही किया।

...मुहम्मद (स) ने वो किया जो किसी ने नहीं किया था! Prophet Muhammad Birthday




मुहम्मद (स) अरब की सरजमीं पर पैदा हुए, मक्का शहर मुहम्मद (स) के जन्म का शहर था।इसी शहर में पले बढ़े और अपने चाचा अबू तालिब के साथ व्यापार करना सीखा और दूर दराज के देश सीरिया वगैरह में व्यापार के सिलसिले में जाना शुरू किया।


मुहम्मद (स) को मक्का शहर से बहुत लगाव था, यही पैदा हुए, जवान हुए, शादी की और एक कामयाब पिता बने।इसी दौरान अल्लाह ने मुहम्मद (स) को आखिरी नबी का दर्जा दिया। इस्लाम की तब्लीग भी इसी शहर मक्का से शुरू हुई।

मुहम्मद (स) मक्का के लोगों के बीच एक सच्चे और ईमानदार इंसान के तौर पर जाने जाते थे जब मुहम्मद (स) पहली बार खुले आम अल्लाह के हुक्म पर इस्लाम का प्रचार शुरू किया तो जहां एक तरफ लोगों ने अल्लाह के दीन को थाम लिया वहीं दूसरी और कुछ ऐसे लोग या कहें ज़्यादातर लोग इस बात से नाराज़ थे।

मक्का के लोग मूर्तिपूजा करने वाले थे और मुहम्मद(स) ने ये पैगाम दिया कि असली माबूद सिर्फ अल्लाह ही है।मक्का के लोग तरह तरह से मुहम्मद (स) को रोकने की कोशिशें करने लगे।



पहले मक्का के लोगों ने मुहम्मद (स) को लालच देकर रोकना चाहा पर वो नाकाम रहे फिर हार कर मक्का निवासी हैवानियत पर उतर आए।मुसलमानों पर जुल्म करना और उन्हें परेशान करना शुरु किया।मुहम्मद (स)।जैसी अज़ीम हस्ती के आगे ये सारे ज़ुल्म और अत्याचार छोटे साबित होते रहे, इनके ज़ुल्म मुसलमानों के ईमान के आगे ना टिक सके।

10 सालों तक इस ज़ुल्म में गुज़ारने के बाद मुहम्मद (स) ने अल्लाह के हुक्म पर मक्का को छोड़ दिया और उत्तर की तरफ बसे शहर यसरिब में पनाह ली।यही शहर आगे चल कर मदिनतुन नबी और आज मदीना कहलाता है।

मुहम्मद (स) को मदीना में बहुत मदद और समर्थन मिला, धीरे धीरे मुसलमानों की तादाद बढ़ती गयी और इसी दौरान कई जंगे लड़ी गईं।मदीना में बसने के बाद भी मक्का के मूर्तिपूजक लोगों ने मुहम्मद (स) का पीछा नहीं छोड़ा।

लगातार मुसलमानों पर इनके ज़ुल्म और जंग जारी रहे लेकिन मुहम्मद (स) ने आपने एक फैसले से इस ज़ुल्म को हमेशाके लिए ये सबक दिया कि अमन और सलामती ही इस्लाम औरअल्लाह का हुक्म है ।

632ई में मुहम्मद (स) ने मक्का शहर पर चढ़ाई कर दी और मुहम्मद (स) की सेना को देख कर मक्का के लोग घबरा गए, मक्का की सेनाओं के कमांडर डर से मुहम्मद (स) के आगे समझौता करने को तैयार हो गए।

मुहम्मद(स) ने मक्का शहर को जीत लिया और वो सभी लोग जो शुरुआत से अबतक मुहम्मद(स) पर ज़ुल्म करने का कोई मौका नही छोड़ते थे आज डर से सर झुका कर खड़े थे।अब उन्हें लगने लगा था कि 20 सालों के ज़ुल्म का बदला मुहम्मद (स) उनकी जान लेकर लेंगे। इन्ही लोगो मे एक शख्स अबू सुफियान भी था जिसने मुहम्मद (स) के चाचा हमज़ा (र) पर हमला करके शहीद किया था और वो शख्सस आज अपने घर मे डर से छुपा हुआ था।
मुहम्मद(स) ने मक्का शहर तो जीत ही लिया था पर अभी मक्का के लोगों का दिल जीतना बाकी था, मुहम्मद (स) ने आगे बढ़कर कहा की

"आज सभी के लिए सलामती है, जो अबू सुफियान के घर मे भी है तो वो डरे नही उसके लिये भी सलामती है"


मुहम्मद (स) का ये कहना और सारे दुश्मनों को माफ कर देना  उन्हें दुनिया के सारे इंसानो से ऊंचा और अफ़ज़ल बना देता है।हमारे पास ऐसी भी मिसालें हैं जहाँ सत्ता की भूख ने हज़ारो मासूमो को मौत अता की है, जहां शहर के शहर तबाह हुए हैं, दुश्मनी निभाने के लिए कई पीढ़ियों तक खून खराबा मचाया गया है पर हमारा इतिहास ऐसे रहमत और दया से खाली है जहां सारे दुश्मनो को माफ कर दिया गया हो।

मुहम्मद (स) के इस फैसले ने दुनिया को ऐसी मिसाल दी जो अजतक कोई इंसान दोबारा ना दे सका।

Comments

  1. इस्लामिक इतिहास ईमानदारी से लिखें और पढें सबसे अधिक खून बहाने वाली कौम है मुसलमानों की

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  2. मूर्तिपूजक होना सिर्फ इस्लाम में ही गुनाह है बाकी धर्मों में नहीं,
    इंसान की अपनी मर्जी है कि वो मूर्ति पूजा करे या शस्त्र पूजा,

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  3. Someone might have visited Panja Sahib (Hasan Abdal)in Pakistan ,that place is well known for the Hand Impression of Guru Nanak devji.Please note that is impression is not at all of Guru Nanak devji himself as such miracles are done by the Almighty God /Allah himself for their great Devotee not to make ashamed of their words.Same is the large stone impressed by the backside of the Guru at Leh Laddakh .Myself has visited both the places.Those are to be worshiped or broken being the part of stone? .Every stone is not only stone but history behind it make it God. Every man cannot be Human being but some of the Human being may be tomorrows God.

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